सांस्कृतिक संस्था सागर भक्ति संगम ने लता मंगेशकर जी की जयंती पर उनके ही गीत प्रस्तुत कर दी श्रद्धांजलि


हज़ारीबाग : भारत की स्वर कोकिला के नाम से विख्यात संगीत साधिका लता मंगेशकर की 94 जयंती पर सांस्कृतिक संस्था सागर भक्ति संगम के तत्वाधान में एक जयंती समारोह का आयोजन हुआ। संगम के कलाकारों ने लता मंगेशकर के गाए गीतों को प्रस्तुत कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर डॉक्टर सुरेश प्रसाद ‘ए मेरे वतन के लोगों,जरा आंख में भर लो पानी’ और गोपाल ठाकुर ने ‘बड़ा नटखट है, कृष्ण कन्हैया, क्या करें यशोदा मैया’ गीत प्रस्तुत सदस्यों को भाव विभोर कर दिया । मुख्य अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता सह समाजसेवी बटेश्वर मेहता ने दीप प्रचलित कर विधिवत जयंती समारोह का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगम संयोजक विजय केसरी एवं संचालन वीरेंद्र जायसवाल ने किया। मुख्य अतिथि बटेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि लता मंगेशकर सदा अपने श्रोताओं के बीच जीवित रहेंगी । उनका संगीत का सफर बहुत ही लंबा रहा था। उन्होंने संगीत के माध्यम से देश का नाम वैश्विक स्तर पर ऊंचा किया था । लता मंगेशकर एक सहज, सरल,प्रकृति की विदुषी संगीत साधिका थी । उनका संपूर्ण जीवन संगीत साधना में बीता था । उनके न होने पर भी उनके गाए कालजयी गीत सदा सूरज और चांद की तरह चमकते रहेंगे। जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि लता मंगेशकर की पहचान उसके गाए गीत ही बन गई । लता जी की आवाज ही उसकी पहचान बनकर श्रोताओं के दिलों में सदा धड़कती रहेगी । उनके गाए गीत ने उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया । देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब दिल्ली में उनका एक कार्यक्रम करवाया था । इस कार्यक्रम में लता जी ने ‘ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं जरा याद करो उनकी कुर्बानी’ प्रस्तुत किया था। हाल में बैठे सभी महानुभावों की आंखें नम हो गई थी । लता जी गाए गीत आज भी बहुत ही चाव के साथ सुने जाते हैं। शिक्षाविद के.सी. मेहरोत्रा ने कहा कि लता मंगेशकर विश्व की एकमात्र ऐसी गायिका थीं ,जिसने तीस हजार से अधिक गीतों को गया था । इस बात को गिनीज बुक्स ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी स्वीकार किया । लता जी ने बीस से अधिक भारतीय भाषाओं में गीत गाकर संपूर्ण देश को एक सूत्र में बांधने का एक सफल प्रयास किया था । जब वह जीवित थीं ,लोग जिस चाव से उनके गीत सुनते थे, आज भी लोग उसी शिद्दत के साथ उनके गीत सुनते हैं। शिक्षाविद वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि पास सर्व गायिका लता मंगेशकर एक कालजयी गायिका बन गई । लता जी की गायिकी तुलना सिर्फ लता जी से ही की जा सकती है । उन पर माता सरस्वती की बड़ी कृपा थी । नब्बे वर्ष की उम्र में भी उनकी गायीकी में वही ताजगी और खनक विद्यमान थी। लता जी ने यह मुकाम कड़े संघर्ष संघर्ष के बाद हासिल किया था । उनका संपूर्ण जीवन भारतीय संगीत को समर्पित रहा था। पूर्व कार्यपालक अभियंता शंभू शरण सिंह ने कहा कि आज जब भी संगीत सुनने का मन करता है, मेरी पहली प्राथमिकता होती है, लता मंगेशकर के गाए गीत को सुनूं । लता मंगेशकर की आवाज एक रूहानी आवाज के समान है, जो रूह तक पहुंचती है । उनकी आवाज मन मस्तिष्क को संगीतमय में बना देती है। लोग हर गम को भूल जाते हैं , जब उनके गीत को सुन रहे होते हैं। लता मंगेशकर की आवाज एक तरह से एक जादूई आवाज कहीं जा सकती है । उनकी आवाज में एक कशिश और खिंचाव है । उनकी आवाज लोगों को मनोरंजन के साथ एक ऊर्जा भी प्रदान करती है। सरस्वती की साधिका लता जी ने ऊवरदान को सदा लोगों के बीच पूरे उत्साह से बांटा था । ऐसी शख्सियत लता जी की थी आयोजित जयंती समारोह में योगेंद्र प्रसाद गुप्ता, तृप्ता गुप्ता, जयप्रकाश गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता,भीम मेहता, अखिलेश सिंह, अजीत कुमार गुप्ता, महावीर महतो,गोपाल ठाकुर, डॉ सुरेश प्रसाद, सतीश होर्रा , बीना अखोरी,देवनारायण प्रजापति, कृष्ण प्रसाद गुप्ता आदि सम्मिलित हुए । धन्यवाद ज्ञापन सुरेंद्र गुप्ता :पप्पू’ ने किया।
हज़ारीबाग : आशीष यादव