नमामि गंगे परियोजना अन्तर्गत विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा के अवसर पर हुए विभिन्न कार्यक्रम

Chatra : जिले के सिमरिया प्रखंड क्षेत्र में उपायुक्त श्रीमती कीर्तिश्री जी की अध्यक्षता में नमामि गंगे परियोजना अन्तर्गत विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा के अवसर पर निरंजना नदी के संरक्षण हेतु जन जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार कार्यकम अन्तर्गत श्रम दान (स्वच्छता कार्यकम)/ प्रभात फेरी, वृक्षारोपन, संकल्प आदि कार्यकम का आयोजन किया गया। उक्त मौके पर वन प्रमंडल पदाधिकारी दक्षिणी मुकेश कुमार, वन प्रमंडल पदाधिकारी उत्तरी राहुल मीणा, जिला परिषद अध्यक्ष ममता कुमारी, उप विकास आयुक्त अमरेंद्र कुमार सिन्हा, अपर समाहर्ता अरविंद कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी सिमरिया सन्नी राज, जिला योजना पदाधिकारी शिशिर पंडित समेत कई पदाधिकारी, कर्मी, गणमान्य लोगों ने विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा के अवसर पर बढ़ चढ़ कर भाग लिया। नमामि गंगे परियोजना अन्तर्गत विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा के अवसर पर जिले के सभी प्रखंडों, विद्यालयों समेत अन्य जगहों पर भी कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के प्रति आमजनों को जागरूक करने हेतु विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया गया। फल्गु नदी पौराणिक नदी है। ऐसे में इसका संरक्षण के लिए सभी की पहल जरूरी है। उन्होंने फल्गु नदी के तट पर कल्पतरु का पौधा भी लगाया। उपायुक्त समेत वरीय अधिकारियों ने यहां वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। साथ ही आम लोगों को भी पर्यावरण के संरक्षण और हरा भरा रखने के लिए अपील की। उपायुक्त ने यहां पेड़ पौधों में रक्षा सूत्र बांधकर जागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि यह पौराणिक फल्गु नदी जिले के कई प्रखंडों से होकर गुजरती है। इसके संरक्षण के लिए नमामि गंगे परियोजना चलाया जा रहा है। उन्होंने इस परिसर में वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को निर्देशित किया। वहीं सिमरिया प्रखंड के बेलगडा में फल्गु (निरंजना) नदी की उद्गम स्थल से बेलगडा चौक तक प्रभात फेरी कार्यक्रम का आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों,अधिकारियों और आमजनों द्वारा श्रमदान किया गया।
उपायुक्त ने अपने संबोधन में सभी को विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगा दशहरा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज हम सभी यहां दो अत्यंत महत्वपूर्ण अवसरों को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं-विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि हमें प्रकृति और संस्कृति के गहरे संबंध को समझाने वाला संदेश है। विश्व पर्यावरण दिवस, जो हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है, हमें यह याद दिलाता है कि स्वस्थ पर्यावरण ही मानव जीवन की आधारशिला है। यदि पर्यावरण संकट में है, तो मानवता भी संकट में है। इस वर्ष की थीम हमें धरती को पुनर्जीवित करने, सूखे से लड़ने और जैवविविधता की रक्षा की प्रेरणा देती है। हमें यह आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है कि क्या हम अपनी नदियों, वनों, वायु और मृदा की रक्षा कर रहे हैं। हमें प्लास्टिक मुक्त जीवन शैली अपनानी होगी, वृक्षारोपण को सिर्फ प्रतीक नहीं, अभियान बनाना होगा, गंगा सहित सभी नदियों को प्रदूषण मुक्त करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। जिला प्रशासन इस दिशा में कई कदम उठा रहा है-जैसे जल संरक्षण योजनाएँ, स्वच्छता अभियान, और स्कूलों-कॉलेजों में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना। लेकिन यह प्रयास तब सफल होगा, जब आप सभी जनभागीदारी से इसे जन आंदोलन बनाएंगे। मैं आप सबसे अपील करती हूँ कि हर नागरिक एक “पर्यावरण प्रहरी” बने। हर घर, हर मोहल्ला, हर गाँव और हर शहर एक हरित प्रयास का केंद्र बने। माँ गंगा का संरक्षण केवल एक आस्था नहीं, हमारी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक जिम्मेदारी भी है। “धरती है तो हम हैं, गंगा है तो जीवन है।”