लावालौंग प्रखंड के हाहे स्कूल की हालत बतर,जर्जर भवन में ननिहालों की पढ़ाई, जान जोखिम में डाल पढ़ने को मजबूर मासूम बच्चे


Chatra : लावालौंग प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत हाहे स्थित एक राजकीय मध्य विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई उनके जीवन के लिए खतरा बन गई है। स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है, छत से टपकता पानी और फर्श पर भरा कीचड़ बच्चों को गंभीर खतरे में डाल रहा है। यहां तक कि बच्चे गंदे पानी में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। न तो पर्याप्त बेंच की व्यवस्था है और न ही भवन की मरम्मत ठीक से करवाई गई है। जब पत्रकारों ने स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रमोद सिंह से स्थिति को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने तीखे अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि “पिछले वर्ष रिपेयरिंग करवाया गया था, लेकिन फिर भी पानी टपक रही है। साल भर में मात्र 50 हजार रुपए मिलते हैं मेंटेनेंस के लिए, जिससे ऑनलाइन व्यवस्था समेत अन्य खर्चे भी पूरे करने होते हैं।”
ग्रामीणों का आरोप है कि यह राशि पूरी तरह भवन की मरम्मत में नहीं लगाई जाती, बल्कि केवल “लीपा-पोती” कर खानापूर्ति कर दी जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर ईमानदारी से मरम्मत की जाए, तो बच्चों को कीचड़ और रिसाव से मुक्ति मिल सकती है।
इतना ही नहीं, मिड डे मील में भी अनियमितता सामने आई है। रसोइया के अनुसार “कभी-कभी ही हरी सब्जी बनाई जाती है।” यह सरकार द्वारा तय पोषण मापदंडों का स्पष्ट उल्लंघन है।
स्कूल के शौचालयों की हालत बदतर है – न पानी की व्यवस्था, न ही साफ-सफाई। मजबूरी में बच्चे और बच्चियां खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जो न केवल शर्मनाक है बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरनाक।
*प्रशासन और शिक्षा विभाग से सवाल*
आखिर कब तक ननिहालों की जिंदगी से यूं खिलवाड़ होता रहेगा? क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन की नजर इन बच्चों की तकलीफों पर पड़ेगी? क्या केवल कागजों पर विकास दिखाने से असली समस्याएं मिट जाएंगी?
*क्या शिक्षा विभाग ने कभी निरीक्षण किया है इस स्कूल का?*
क्या बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता में है,क्या प्रधानाध्यापक के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या बच्चों की जिंदगी ऐसे ही दांव पर लगती रहेगी?
लावालौंग संवाददाता,मो० साजिद