सहायिका के चयन में बिरहोर आवेदिका के पक्ष में सभी बिरहोर हुए आक्रोशित, अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र पर न जाने देने का लिया संकल्प


लावालौंग/चतरा: प्रखंड मुख्यालय स्थित बिरहोर टोला के आंगनबाड़ी केंद्र पर सहायिका के चयन का प्रक्रिया बेहद उधेडबुन रहा।ज्ञात हो कि इस अनुसूचित जनजाति बाहुल पोषण क्षेत्र में आंगनवाड़ी सहायिका के चयन के लिए महिला पर्यवेक्षिका माही जब्बी उपस्थित हुई थी।मौके पर उनके साथ बीडीओ विपिन कुमार भारती,सीओ सुमित कुमार झा, प्रमुख मनीषा देवी व मुखिया नेमन भारती भी उपस्थित थे। चयन प्रक्रिया में कुल छः आवेदिकाओं नें आवेदन किया। जिसमें दो पोषक क्षेत्र में नहीं रहने के कारण एवं दो आरक्षित कोटे में नहीं रहने के कारण तथा एक बिरहोर आवेदिका दसवीं पास नहीं रहने के कारण उनके आवेदन को रद्द कर दिया गया। वहीं ममता कुमारी अनुसूचित जाति के आवेदन पर विचार करते हुए उसका सहायिका के लिए चयन किया गया।जो पूर्व से पोषण सखी के पद पर इसी आंगनवाड़ी में पदस्थापित है। चयन के बाद सभी बिरहोर परिवारों नें चयन के विरोध में मौके पर ही जमकर हल्ला हंगामा कर दिया।बिरहोर आवेदिका का कहना था कि मैं तीन वर्ष तक इस आंगनवाड़ी में खाना बनाने एवं बच्चों का देखरेख करने का कार्य किया है। और इस आंगनवाड़ी में सिर्फ और सिर्फ हमारे बिरहोर परिवार के बच्चे ही पढ़ाई करने आते हैं। ऐसे में विभाग और सरकार को हम अनुसूचित जनजाति के लोगों को संरक्षण देने का कार्य करना चाहिए था।परंतु यहां उपस्थित अधिकारियों के द्वारा सरकार के चिट्ठी का हवाला देकर हमारे साथ दोहन करने का कार्य किया गया है।इसलिए आज हम सभी बिरहोर एक स्वर में संकल्प लेते हैं कि आज के बाद हम अपने बच्चों को जंगल शिकार के लिए लेकर चले जाएंगे परंतु आंगनवाड़ी में कदम तक नहीं रखने देंगे।सरकार को जो भी बिगाड़ना है बिगाड़ ले।अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर इस आंगनवाड़ी में बिरहोर के बच्चे नहीं जाते हैं तो आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन किस प्रकार से हो पाएगा।
लावालौंग संवाददाता,मो० साजिद