नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल का संबोधन — शिक्षा को राष्ट्र सेवा से जोड़ें युवा


पलामू। नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में सोमवार को झारखंड के राज्यपाल-सह-विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति श्री संतोष कुमार गंगवार ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपाधि केवल प्रमाण पत्र नहीं, बल्कि उनके सपनों, संघर्ष और जिम्मेदारियों का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने करियर तक सीमित न रहकर समाज और राष्ट्र की सेवा में संकल्पित हों।राज्यपाल ने स्वतंत्रता सेनानी नीलाम्बर और पीताम्बर को नमन करते हुए कहा कि उनका जीवन साहस, कर्तव्य और त्याग की प्रेरणा देता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों को नियमित कक्षाएँ संचालित करने, समय पर परीक्षाएँ आयोजित करने और बिना विलम्ब विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान करने के निर्देश दिए। दीक्षांत समारोह में देरी को उन्होंने विद्यार्थियों, परिवारों और समाज के लिए बाधक बताया तथा अकादमिक कैलेंडर का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।उन्होंने उच्च शिक्षा में झारखंड की चुनौतियों पर चिंता जताई, कहा कि राज्य से कई विद्यार्थी बाहर पलायन कर रहे हैं और बाहरी विद्यार्थी यहां नामांकन नहीं लेते। इस स्थिति को बदलना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि से बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को रोजगारोन्मुख, नवाचार-प्रेरित और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुकूल बताया।राज्यपाल ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की संख्या अधिक होने को महिला सशक्तिकरण का सकारात्मक संकेत माना। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही सबसे बड़ी पूँजी है और इसी के बल पर राष्ट्र नई ऊँचाइयों तक पहुँचेगा। शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण पर बल देते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्वच्छ, सुंदर और प्रेरणादायक वातावरण बनाए रखने की आवश्यकता बताई।उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान, कौशल और प्रतिभा का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करें। सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि झारखंड के युवा विकसित भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाएँगे।