

लावालौंग/चतरा : शनिवार को सनातन परंपरा के भगवान विष्णु के पद चिन्ह और बौद्ध परंपरा के बाद भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं से जुड़ी बौद्धों की पवित्रतम नदी निरंजना के उद्गम स्थल और विष्णुपद तीर्थ के उद्गम स्थली पर ग्रामीणों ने गंगा आरती करने का निर्णय लिया। जिसके लिए सबसे पहले प्रखंड मुख्यालय स्थित यज्ञशाला परिसर में प्रमोद साहु कि अध्यक्षता में ग्रामीणों की एक बैठक आयोजित की गई। जहां नमामि निरंजन अभियान के संयोजक संजय सज्जन ने लोगों को बताया कि बिहार के गया स्थित फल्गु नदी का उद्गम स्थल लावालौंग प्रखंड का सोहावन गांव है। लेकिन विडंबना यह है कि आज के समय में यह पौराणिक नदी सुख गई है। जिसे हमें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। बैठक में ग्रामीणों ने 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन निरंजना नदी के उद्गम स्थल पर गंगा आरती कर निरंजना महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया। ज्ञात हो कि फल्गु नदी (निरंजना नव दी) को मोक्षदायिनी नदी भी कहा जाता है। साथ ही इस नदी में पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण कर मृत आत्माओं के मुक्त होने की भी प्रार्थना की जाती है। वहीं दूसरी ओर इसकी मान्यता बौद्ध परंपरा के ध्वजवाहक भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जुड़ा है। कहां जाता है कि भगवान बुद्ध को बिहार के गया में इसी नदी के किनारे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। संजय इसी नदी को सदानीरा बनाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के सहयोग से ही इस नदी को सदानीरा बनाया जा सकता है। साथ ही सनातन, बौद्ध और जैन इन तीन धर्मों का संगम होने के कारण इस क्षेत्र में पर्यटकों का भी रुझान बढ़ेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि यह नदी लावालौंग के सोहावन से शुरू होकर बोधगया पहुंचने में कुल 150 किलोमीटर की यात्रा पूरी करती है। कार्यक्रम में उनके साथ विवेक केशरी, सुबोध कुमार पाठक, सतीश कुमार साहू, मुकेश कुमार यादव, खगेश्वर साहू, चेतलाल साहू, रघु राम, पंकज केसरी, पूरन साहू और त्रिवेणी रजक समेत दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे।
लावालौंग संवाददाता, मो० साजिद