Ranchi :-पोषण सखी का मामला एक बार फिर से झारखंड विधानसभा में गूंजा है। सिमरिया के विधायक किशुन कुमार दास ने विधानसभा के बजट सत्र में पोषण सखी बहनों को राज्य सरकार द्वारा हटाए जाने के मामले को गंभीरता से उठाते हुए हेमंत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। श्री दास ने सदन के माध्यम से सरकार के समक्ष मांग किया कि सभी 10388 पोषण सखियों को फिर से नौकरी पर रखा जाए। उन्होंने बजट सत्र के दौरान हेमंत सोरेन सरकार से यह सवाल पूछा कि वर्ष 2016 में आंगनबाड़ी केंद्रों में नवजात, किशोरी, गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सहित अन्य कार्यों के लिए केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा पोषण सखी बहनों का मानदेय के आधार पर नियुक्ति किया गया था। लेकिन वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के तकरीबन 10388 को पोषण सखियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटा दिया है। झारखंड के चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, गोड्डा व दुमका जिले में पोषण सखी बहने 2016 से विभिन्न प्रखंडों में कार्य कर रही थी। श्री दास ने हेमंत सोरेन सरकार पर आरोप लगाया कि गांव की गरीब महिलाओं को महज तीन हजार रूपए के मासिक मानदेय पर पोषण सखी की नियुक्ति की गई थी। लेकिन हेमंत सरकार गरीब विरोधी के साथ-साथ महिला विरोधी है। यही वजह है कि महज तीन हजार रुपए मासिक में काम करने वाली महिलाओं की नियुक्ति रद्द कर दी। दूसरी तरफ झारखंड राज्य एकीकृत पोषण सखी संघ के बैनर तले पोषण सखी बहने बीते 27 फरवरी से ही झारखंड विधानसभा के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पर बैठी हैं। सिमरिया के विधायक किशुन कुमार दास विधानसभा में सरकार से सवाल पूछने के बाद पोषण सखी बहनों से मिलने धरनास्थल पर पहुंचे और उनके समस्याओं से रूबरू हुए। पोषण सखी बहनों ने अपना दर्द विधायक श्री दास से साझा किया और कहा कि राज्य सरकार ने महज एक आदेश से 10388 पोषण सखियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। इससे पोषण सखी बहनों के परिवार के समक्ष आर्थिक संकट छा गया है। अब सभी दाने-दाने को मोहताज भी हैं। 27 फरवरी से ही पोषण सखी महिलाएं अपने बच्चों के साथ झारखंड विधानसभा के समक्ष टूटे-फूटे पंडाल में दिन-रात रहकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें पोषण सखी या अन्य किसी कार्य के रूप में राज्य सरकार नियुक्त करें। ताकि उनके परिवार का भरण पोषण हो सके। पोषण सखी बहनों से मिलने के बाद सिमरिया के विधायक श्री दास ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को जमकर घेरा और कहा कि राज्य सरकार महिला विरोधी होने के साथ-साथ गरीब के हितों की अनदेखी कर रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण है पोषण सखी बहनों का यह हाल होना है। उन्होंने बताया कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी पोषण सखी बहनों का मामला उठाया गया था और बजट सत्र में भी एक बार फिर पोषण सखी बहनों की नियुक्ति का मामला उठाया है।
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