उपायुक्त अबु इमरान की अध्यक्ष्ता में ऑनलाइन माध्यम से पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक संपन्न। कुल 6 (छः) नये अल्ट्रासाउण्ड खोलने के प्रस्ताव को पूर्ण दस्तावेज व भौतिक सत्यापन कर अगले बैठक में रखने का लिया गया निर्णय।



चतरा : उपायुक्त अबु इमरान की अध्यक्ष्ता में ऑनलाइन माध्यम से पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक की गई। बैठक में सिविल सर्जन चतरा जगदीश प्रसाद द्वारा कुल 6 (छः) नये अल्ट्रासाउण्ड खोलने का प्रस्ताव रखा गया। उपायुक्त ने सभी प्राप्त प्रस्तावों के दस्तावेज एवं भौतिक सत्यापन की समीक्षा कर निर्देशित किया कि सभी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र के दस्तावेज सत्यापन एवं भौतिक सत्यापन पूर्ण कर लेने के पश्चात अगले बैठक में रखे। जिले में संचालित अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र की समीक्षा के क्रम में सिविल सर्जन चतरा ने जानकारी दिया कि वर्तमान में जिले के अंदर कुल 13 (तेरह) अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र संचालित है। इस संदर्भ में उपायुक्त ने सिविल सर्जन चतरा को निर्देशित करते हुए कहा कि गठित टीम के साथ संचालित व बंद पड़े सभी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र का निरीक्षण कर रिर्पोट तैयार कर उपलब्ध करायें। वहीं बैठक में उन्होने सिविल सर्जन चतरा को निर्देशित किया कि सभी संचालित अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों में सीसीटीवी का अधिष्ठापन करवाना सुनिश्चित किया जाय। वैसे अल्ट्रासाउण्ड केंद्र जहां स्टाप या कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा अल्ट्रासाउण्ड किया जाता है और जिनके नाम से केंद्र पंजीकृत है वह उपस्थित नहीं रहते हैं वैसे केंद्रों को चिन्हित करते हुए औचक निरीक्षण कर नियमानुसार कार्रवाई करें। आगे उन्होंने कहा पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है।ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। प्रत्येक आनुवांशिक परामर्श केंद्र, आनुवांशिक प्रयोगशाला या आनुवांशिक क्लिनिक परामर्श देने या प्रसव पूर्व निदान तकनीकों का संचालन करने में लगे हुए हैं, जैसे कि गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग चयन की संभावनाओं के साथ इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) पीसीसीपीटी अधिनियम के दायरे में आता है और इस पर प्रतिबंध है। उन्होंने आम जन से अपील किया कि लिंग परीक्षण व कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित मामले की जानकारी जिला प्रशासन, स्वास्थ्य व पुलिस विभाग को तुरंत दें। जिससे नियम संगत संबंधित के ऊपर कार्रवाई की जा सके। जिले में संचालित निजी अस्पतालों की जानकारी प्राप्त करते हुए सिविल सर्जन चतरा को निर्देशित किया गया कि वैसे निजी अस्पताल जहां पर चिकित्सक सूची बोर्ड में चिकित्सक का नाम तो दर्ज है परन्तु अस्तपताल में वह चिकित्सक लंबे समय से उपस्थित नहीं है या वर्तमान में कार्यरत नहीं है वैसी स्थिति में मरीजों के परेशानी को देखते हुए सूची से चिकित्सक का नाम हटाया जाय और वैसे चिकित्सक जो अस्पताल में मरीजों के इलाज हेतु बैठते है उनका सूची नाम, बैठने का समय एवं उनका योग्यता बोर्ड पर प्रकाशित किया जाय। साथ ही कहा कि जिले में अवैध रूप से संचलित नर्सिंग होम एवं झोलाछाप डॉक्टर को चिन्हित करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करें। उक्त बैठक में सिविल सर्जन चतरा जगदीश प्रसाद, डीआरडीए निदेशक अरूण कुमार एक्का, अस्पताल उपाधीक्षक डा. मनीष लाल, रेड क्रॉस से धर्मेन्द्र पाठक समेत अन्य संबंधित उपस्थित थे।