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Friday, October 17, 2025
Hazaribagh News

सारले पार्क में सिर्फ़ वसूली, नहीं कोई सुविधा – बच्चों का हंसता खेलता अड्डा बना उपेक्षा का शिकार

हजारीबाग : कभी हजारीबाग झील के पास सजीवता का प्रतीक रहा सारले पार्क अब अपने अस्तित्व को लेकर सवालों के घेरे में है। नगर निगम द्वारा संचालित यह पार्क बीते पाँच वर्षों से केवल राजस्व वसूली का माध्यम बनकर रह गया है। भाजपा नेता अनुपम सिन्हा की मानें तो, नगर निगम केवल कमाई पर ध्यान दे रहा है, सुविधाओं और रखरखाव पर नहीं।

पार्क में प्रवेश करते ही हर व्यक्ति से ₹20 की एंट्री फीस ली जाती है, वहीं दोपहिया वाहन पर ₹10 और चारपहिया पर ₹30 का पार्किंग शुल्क लगाया गया है। प्रतिदिन यहाँ सैकड़ों परिवार सैर-सपाटे की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं, लेकिन बदले में उन्हें मिलती है टूटी-फूटी संरचनाएं, गंदगी और निराशा।

झूले टूटे, शौचालय बदहाल, चारों ओर गंदगी

पार्क में बच्चों के लिए लगाए गए झूले, स्लाइडिंग, राउंड स्लाइड सभी जर्जर हो चुके हैं। कहीं लोहे के हिस्से झांकते हैं, तो कहीं रंग-रूप ही मिट चुका है। पार्क की साफ-सफाई भी बदतर है — जगह-जगह कीचड़, कूड़े के ढेर और मच्छरों की भरमार। शौचालयों की हालत ऐसी है कि उनका उपयोग करना स्वयं को बीमारियों की सौगात देना जैसा है।

फीकी सुविधाएं, भारी वसूली

सबसे गंभीर मामला यह है कि सुविधाओं के अभाव के बावजूद हर छोटे-बड़े खेल उपकरण पर भारी शुल्क लिया जा रहा है। स्टैंडिंग जंपिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और बुल जंपिंग जैसी गतिविधियों पर ₹20 प्रति 10 मिनट वसूले जा रहे हैं। वहीं बच्चों की रिमोट कंट्रोल कार की सवारी पर ₹50 तक की वसूली हो रही है।

प्रशासन कब लेगा सुध?

अनुपम सिन्हा ने सवाल उठाया है कि जब नागरिकों से नियमित शुल्क लिया जा रहा है, तो पार्क की देखरेख में इतनी लापरवाही क्यों? क्या नगर निगम सिर्फ़ राजस्व जुटाने के लिए पार्क चला रहा है?

स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों का कहना है कि सारले पार्क को फिर से सुरक्षित और आकर्षक बनाना ज़रूरी है, ताकि बच्चों को खेलने और परिवारों को सुकून के कुछ पल मिल सकें।

फिलहाल, जनता इंतज़ार में है — या तो सुविधाएं बहाल हों या फिर वसूली बंद की जाए।

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