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Thursday, July 3, 2025
Hazaribagh News

हजारीबाग में जन संस्कृति मंच का कवि सम्मेलन, 30 से अधिक रचनाकारों ने बाँधा समां

हजारीबाग: झारखंड जन संस्कृति मंच की ओर से रविवार को पेंशनर कार्यालय में मासिक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें साहित्य की विविध भाषाओं – हिंदी, खोरठा, भोजपुरी, मैथिली, नागपुरी – में रचनाओं का बहुरंगी संगम देखने को मिला। चार घंटे तक चले इस कवि सम्मेलन में करीब 30 से अधिक कवि और कवयित्रियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रमेश शर्मा ने की, वहीं मुख्य अतिथि समाजसेवी व भाजपा नेता बटेश्वर मेहता और विशिष्ट अतिथि अवकाश प्राप्त वन अधिकारी व कवि अजय कुमार रहे। कवियित्री डॉ. प्रमिला गुप्ता की वर्षा पर आधारित कविता से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसे खूब सराहा गया। शिक्षक विजय कुमार राणा ने ‘अपने देश की बनती पहचान’ शीर्षक कविता के अलावा कवि प्रमोद रंजन की दो कविताओं का पाठ किया। कवयित्री डॉ. कविता सिन्हा की ‘बरसे हैं मेघ जमकर’ और ‘नींद की तलाश’ जैसी रचनाएं गूंजती रहीं। युवा कवयित्री राजश्री और बैंक अधिकारी कवि प्रमोद रंजन की कविताएं भी खूब सराही गईं। कवि गोपीकृष्ण सहाय की आध्यात्मिक रचना, पर्यावरणविद् सुरेन्द्र सिंह के खोरठा-भोजपुरी गीत, जनवादी कवि टीपी पोद्दार की मार्मिक कविताएं, और शिक्षिका सुप्रिया रश्मि की ‘खामोशी’ जैसी रचनाओं ने माहौल को गहराई दी। अधिवक्ता अरविंद झा, शिक्षक राजु विश्वकर्मा, मैथिली कवि हितनाथ झा, डॉ. करन कशिश, डॉ. साकेत पाठक, ग़ज़लकारा रुबीना वफ़ा और हास्य कवि संजय जी जैसे कई रचनाकारों ने अपनी-अपनी शैली में श्रोताओं को साहित्यिक अनुभूति कराई। मुख्य अतिथि बटेश्वर मेहता और अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने सभी रचनाकारों की मुक्त कंठ से सराहना की। डॉ. शर्मा ने कहा कि इस सम्मेलन ने झारखंड की भाषाई विविधता और सांस्कृतिक चेतना को एक नई ऊर्जा दी है। उन्होंने कार्यक्रम संयोजकों को बधाई देते हुए साहित्यिक उलगुलान का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन कवियित्री डॉ. प्रमिला गुप्ता और धन्यवाद ज्ञापन शंकर ने किया। पेंशनर समाज के उपाध्यक्ष राजु विश्वकर्मा ने सभी से समाज से जुड़ने और चुनाव में उन्हें समर्थन देने का आग्रह भी किया। यह कवि सम्मेलन न केवल साहित्य का उत्सव था, बल्कि झारखंड की मातृभाषाओं, संस्कृति और सामाजिक चेतना का जीवंत मंच भी बना।

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