विश्व आदिवासी दिवस पर हजारीबाग में विचार गोष्ठी, दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सामूहिक श्रद्धांजलि


हजारीबाग | सरहुल मैदान, धुमकुडिया भवन में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एक विशेष विचार गोष्ठी और दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यह पहला मौका था जब आदिवासी समाज ने मिलकर गुरूजी के योगदान को याद किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में वनाधिकार कानून 2006, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, स्वरोजगार, और शराब नियंत्रण जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्य वक्ता एवं संरक्षक कृपाल कचछप ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने और साहूकारों के चंगुल से मुक्ति दिलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। ग्राम सभा मंच के अध्यक्ष हीरालाल मुर्मू ने गुरूजी की जीवनी और वनाधिकार कानून 2006 पर विस्तार से जानकारी दी।
आदिवासी समाज के संयोजक रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने कहा कि गुरूजी आदिवासी और मूलवासी समुदाय की बुलंद आवाज थे, जिनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। छात्र संघ उपाध्यक्ष सुशील ओडिया ने याद दिलाया कि गुरूजी ने विधानसभा से लेकर लोकसभा तक आदिवासियों के हक की आवाज बुलंद की। वक्ताओं में रवि लिंडा, पवन तिग्गा और पूजा लकड़ा ने गुरूजी को एक जुझारू आंदोलनकारी नेता बताया और उनके विचारों पर चलने की अपील की।
कार्यक्रम में महेंद्र कुजूर, लालजी सोरेन, फुलवा रानी कचछप, जीतवाहन भगत, दीपक केरकेट्टा, ललिता देवी, पूजा मिंज, भोला उरांव, टुन्नी उरांव, भोला बांहो, अनुप किस्पोट्टा, अभिषिक्त तिग्गा, आनंद उरांव, कृष्णा उरांव, रुक्मणी उरांव समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
अध्यक्षता संरक्षक कृपाल कचछप ने की जबकि संचालन सचिव सुनील लकड़ा ने किया। कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी केन्द्रीय सरना समिति, आदिवासी समाज और आदिवासी छात्र संघ, हजारीबाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।