

हजारीबाग | हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए 5 वर्षीय आतिफ के इलाज की जिम्मेदारी उठाई है। आतिफ, जो जन्म से नहीं बल्कि एक हादसे के बाद बोलने और सुनने की क्षमता खो चुका है, अब ट्रस्ट की मदद से अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण विकलांगता संस्थान, कोलकाता में इलाज के लिए रवाना हो गया।
आतिफ की दर्दभरी कहानी
आतिफ, पिता स्वर्गवासी, माँ रुकसाना खातून — सुल्ताना, हजारीबाग निवासी। डेढ़ साल की उम्र में छत से गिरने के कारण आतिफ के सिर में गंभीर चोट लगी, जिससे वह एक महीने तक कोमा में रहा। माँ के अथक प्रयासों और साहस की बदौलत वह मौत के मुंह से बाहर आया, लेकिन कोमा से जागने के बाद भी सुनने और बोलने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।
गरीब रुकसाना ने लोगों से ऋण और चंदा जुटाकर बेटे के इलाज पर दो लाख से अधिक खर्च किए, लेकिन संसाधनों की कमी और विकलांगता प्रमाणपत्र न होने के कारण आगे का इलाज संभव नहीं हो पा रहा था।
हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट की पहल
आतिफ की कहानी सामने आने के बाद इरशाद इब्राहिम (पम्मी बस), असफाक अहमद, रोशन अहमद, पंकज कुमार, काशिफ अदीब सहित कई समाजसेवियों ने मिलकर हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट के माध्यम से बच्चे की मदद का संकल्प लिया। ट्रस्ट ने न सिर्फ विकलांगता प्रमाणपत्र बनवाने में मदद की, बल्कि आतिफ के इलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था भी की।
24 अगस्त को हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट की टीम आतिफ और उसकी माँ को कोलकाता रवाना कर चुकी है, जहाँ उसका इलाज शुरू हो चुका है।
समाजसेवियों का कहना है कि यह कदम सिर्फ आतिफ के लिए नहीं, बल्कि उन तमाम जरूरतमंद बच्चों के लिए प्रेरणा है, जिन्हें आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं मिल पाता। हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट ने वादा किया है कि आतिफ के पूरे उपचार की जिम्मेदारी वह उठाएगा।
आतिफ की माँ रुकसाना खातून की आंखों में अब उम्मीद की चमक है। उन्होंने ट्रस्ट और सहयोग करने वाले सभी लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “अगर हेल्पिंग इंडिया ट्रस्ट मदद नहीं करता, तो मेरा बेटा शायद कभी बोल और सुन नहीं पाता।”