चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी से डरे सहमे रहते हैं डाक्टर और स्वास्थ कर्मी इसकी शिकायत को लेकर राजद के जिला उपाध्यक्ष सह मंत्री प्रतिनिधि ने अल्प संख्यक आयोग के उपाध्यक्ष को सौंपा पत्र


Chatra : राष्ट्रीय जनता दल के जिला उपाध्यक्ष,मंत्री प्रतिनिधि स्वास्थ विभाग,बीस सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति सदस्य सह पंद्रह सुत्री सदस्य मो हारून रशीद ने सदर अस्पताल चतरा एवं सिविल सर्जन के कार्यालय का एक संगीन मामले को लेकर मंत्री सत्यानन्द भोगता श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण, कौशल विकास, झारखण्ड सरकार तथा शमशेर आलम्, उपाध्यक्ष राज्य अल्पसंख्यक आयोग झारखंड को पत्र देकर अवगत कराया है।पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि अरूण कुमार सिंह चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत है जिसे प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानातंरण किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि अरूण कुमार सिंह चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी को सिविल सर्जन कार्यालय में सिर्फ पैसे की वसूली का काम कर रहा है। पैसा वसूल के एजेंट के रूप में काम कर रहा है।यह इतना पावर फूल हो गया है कि किसी को भी पैसे के बदौलत किसी को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनवा देता है। वहीं किसी भी स्वास्थ कर्मीयों का स्थानातंरण करवा देना इनके बाएं हाथ का खेल है। इतना ही नहीं पैसे नहीं देने पर किसी को भी रातों रात प्रभारी से हटा देने का क्षमता रखता है जिस डाक्टर समेत स्वास्थ कर्मी अरुण कुमार सिंह से डरे सहमे रहते हैं। पत्र में आगे बताया गया है कि अरुण कुमार सिंह के द्वारा बोला जाता है कि मैं और राजेश कुमार सिंह, चतुर्थ वर्ग के द्वारा डॉ० जगदीश प्रसाद को सिविल सर्जन चतरा बनाने में काफी पैसा लगा है। हमलेगों ने सिविल सर्जन बनाने काफी पैसा लगाए है तो पैसे की वसूली भी हमलोग कर रहे है।।
पत्र में यह भी कहा गया है कि भले ही हमलोग चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हैं लेकिन पहुँच और पैरवी हमलोगो का ही है। हमलोग जो चाहेंगे कार्यालय में वही होगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि अरुण कुमार सिंह पूर्व में सिविल सर्जन कार्यालय में प्रतिनियुक्त था उस पर गंभीर आरोप लगे थे तत्कालीन उपायुक्त के निर्देश के आलोक में तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दिया गया था। पुन सिविल सर्जन डॉ० जगदीश प्रसाद द्वारा प्रभार लेते ही तुरंत ही मेरा स्थानातरण सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र,हंटरगंज से सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि सिविल सर्जन संबंध उक्त व्यति के साथ कैसा है। इतना ही नहीं पदस्थापन के पश्चात्त आदेशापाल का कार्य न लेकर लिपिक का कार्य लिया जाता है।यह पावर और रूतबा है।हमलोगों ने पचपन लाख रूपये देकर डॉ० जगदीश प्रसाद को सिविल सर्जन बनाए हैं। वर्तमान सिविल सर्जन को भी हमलोग के द्वारा पैसे लगाकर बनाया गया है और जो भी हमलोग के द्वारा सिविल सर्जन बनाया जाता है उन सभी सिविल सर्जन को हमलोगे अपने घर में रखते है और रखने के साथ ही हमलोग जो चाहते है यो सिविल सर्जन से करवाते है। इस संबंध में दिनांक 18.10.2023 को इनलोगों के उपर कार्रवाई से संबंधित पत्र प्रेषित किया हूँ। परन्तु इनलोगों के उपर अबतक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। पूरे मामले में राजेश कुमार ने बताया कि लगाए गए सभी आरोप निर्धन है हम लोग एक छोटा कमी है । जो सिर्फ अपना काम करते हैं । आगे उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाया गया है उसका प्रमाण भी पेश किया जाए