झारखंड को जल संकट से उबारने की तैयारी, दीपिका पांडेय सिंह ने जलछाजन परियोजनाओं की संख्या 30 से बढ़ाकर 200 करने का दिया निर्देश


Ranchi : झारखंड के ग्रामीण जल संकट सरकार की प्राथमिकता है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने राज्य में जलछाजन परियोजनाओं के विस्तार की घोषणा करते हुए इसे झारखंड की धरती को बचाने के लिए निर्णायक पहल बताया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब सिर्फ योजनाएं नहीं, ठोस ज़मीन पर उतरने वाला क्रियान्वयन होगा, जो हर गांव और खेत को पानी से जोड़ने का काम करेगा।
वर्तमान में राज्य में कुल 28 जलछाजन परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जबकि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (जलछाजन विकास अवयव) के तहत 30 परियोजनाओं पर काम जारी है। लेकिन मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन परियोजनाओं की संख्या बढ़ाकर कम से कम 200 की जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे जल-संवेदनशील राज्य में यह संख्या पर्याप्त नहीं है और जब तक हर ज़िले, हर पंचायत में जल प्रबंधन की ठोस योजना लागू नहीं होती, तब तक राज्य का भविष्य सुरक्षित नहीं कहा जा सकता।
मंत्री ने यह भी आदेश दिया है कि राज्य के सभी जिलों में एक व्यापक और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए, जिसके आधार पर क्षेत्र की जलवायु, भू-प्राकृतिक स्थितियों और स्थानीय जरूरतों के अनुसार जलछाजन की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस सर्वेक्षण के जरिए सरकार को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किस क्षेत्र में किस प्रकार की संरचनाएं जैसे चेक डैम, तालाब, मेड़बंदी या जल पुनर्भरण की ज़रूरत है।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस अभियान को सिर्फ एक सरकारी योजना तक सीमित नहीं रखा जाएगा। इसे जनभागीदारी से जोड़कर एक जन आंदोलन बनाया जाएगा। पंचायत स्तर पर जल समितियों को सक्रिय किया जाएगा और मनरेगा जैसी योजनाओं को जलछाजन से जोड़ा जाएगा, जिससे न केवल जल संरक्षण होगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
दीपिका पांडेय सिंह ने कहा, “जल संकट अब सिर्फ पर्यावरण की नहीं, बल्कि आजीविका और अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। यह लड़ाई हमें गांव की मिट्टी से ही जीतनी है। जलछाजन सिर्फ बांध बनाने या नालियां खोदने का काम नहीं है, यह गांव के भविष्य की रक्षा करने का तरीका है।”
उनकी यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब झारखंड के कई जिलों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और वर्षा पर निर्भर कृषि प्रणाली संकट में है। ऐसे में यह निर्णय राज्य के किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
जलछाजन मिशन को लेकर सरकार की यह सक्रियता न केवल जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह ग्रामीण विकास को स्थायित्व देने वाली एक मजबूत रणनीति भी बन सकती है। झारखंड जैसे राज्य में, जहां मानसून पर निर्भरता अधिक है, यह पहल गांवों के भविष्य को जलसुरक्षित बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है।