Recent Posts

newscraftrashtriya@gmail.com
Monday, December 23, 2024
Dhanbad News

मुस्लिम समाज के लोगो ने ईद-उल-अजहा बकरीद की नमाज अदा की,शांतिपूर्ण मना त्योहार

मुस्लिम समाज के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-उल-अजहा यानी बकरीद 10 जुलाई यानी आज है पुरे देश मे इस त्योहार को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों में बहुत उत्साह है.निरसा के शिवलीबाड़ी ईदगाह में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा किए. मौलाना मसूद अजहर ने अपील की है कि अमन और शान्ति के साथ भाईचारगी के साथ त्योहारों को मनाए ।

क्या हैं कुर्बानी:

कुर्बानी का त्योहार है जो अल्लाह की राह में दी जाती है. अजहा अरबी शब्द है, जिसके मायने होते हैं कुर्बानी, बलिदान, त्याग और ईद का अर्थ होता है त्योहार इस त्योहार की पृष्ठभूमि में है अल्लाह का वह इम्तिहान जो उन्होंने हजरत इब्राहीम का लिया. हजरत इब्राहीम उनके पैगंबर थे. अल्लाह ने एक बार उनका इम्तिहान लेने के बारे में सोचा. उनसे ख्वाब के जरिए अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हर बाप की तरह हजरत इब्राहीम को भी अपने बेटे इस्माइल से मोहब्बत थी. यह मुहब्बत इस मायने में भी खास थी कि इस्माइल उनके इकलौते बेटे थे और वह भी काफी वक्त बाद पैदा हुए थे. उन्होंने फैसला लिया कि इस्माइल से ज्यादा उनको कोई प्रिय नहीं है और फिर उन्होंने उनको ही कुर्बान करने का फैसला किया.बेटे की कुर्बानी देते हुए उन्होंने अपनी आंख पर पट्टी बांध लेना बेहतर समझा ताकि बेटे का मोह कहीं अल्लाह की राह में कुर्बानी देने में बाधा न बन जाए. फिर उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो यह देखकर चौंक गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हुआ है। तभी से बकरों की कुर्बानी का चलन शुरू हुआ. इसी वजह से इस त्योहार को बकरा ईद या बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग ईदगाह में नमाज अदा करते हैं और एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी शिवलीबाड़ी के ईदगाह में उपस्थित होकर सभी मुसलमान भाइयों को ईद की बधाई दी और कहा कि भाईचारगी का संदेश का पर्व है इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाएं वही ईदगाह के समीप प्रशासन का भी मुस्तेद नजर आए।
 

Leave a Response