मोदी सरकार के 11 साल: जमीनी हकीकत से परे स्मृति ईरानी का खोखला भाषण – कांग्रेस नेता आलोक कुमार दूबे का करारा प्रहार


रांची। केंद्र सरकार के 11 वर्षों की तथाकथित उपलब्धियों को गिनाने रांची पहुंचीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार झूठ और भ्रम की राजनीति का चरम उदाहरण बन चुकी है। जो सरकार एक दशक बाद भी देश के गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं को बुनियादी सुविधाएं नहीं दे सकी, वह “विकसित भारत” का दावा करने निकली है।
आलोक दूबे ने कहा कि स्मृति ईरानी जिन योजनाओं की लंबी लिस्ट गिना रही थीं, वह सिर्फ जुमलेबाजी है। हकीकत यह है कि आज भारत भुखमरी और कुपोषण में पूरी दुनिया में सबसे शर्मनाक स्थिति में है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है। भूख, बेरोजगारी और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है और केंद्र सरकार ‘मुफ्त अनाज’ का ढोल पीट रही है।
उन्होंने पीएम किसान योजना पर भी हमला करते हुए कहा कि जो सरकार किसानों को ₹6,000 सालाना देकर उनकी गरीबी दूर करने का झूठा प्रचार करती है, वही सरकार 2.38 करोड़ किसानों को योजना से बाहर निकाल देती है। वहीं 14 करोड़ से अधिक किरायेदार किसानों को कोई लाभ ही नहीं मिलता। कृषि बीमा योजना भी पूरी तरह से कंपनियों के हित में चली गई है, किसानों के मुआवजे में लगातार गिरावट आई है, और फसल बीमा के नाम पर सिर्फ मुनाफाखोरी हो रही है।
दूबे ने उज्ज्वला योजना को भी असफल बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो गैस कनेक्शन बांटे, उनमें से लगभग एक-तिहाई महिलाएं एक बार भी सिलेंडर नहीं भरवा सकीं। यह योजना कागजों पर भले ही “सफल” हो, लेकिन हकीकत में गरीब महिलाएं दोबारा लकड़ी पर खाना पकाने को मजबूर हैं।
स्मृति ईरानी जिस महिला सशक्तिकरण की बात कर रही थीं, वह भी खोखला है। महिला अपराध के आंकड़े दोगुने हो चुके हैं, बलात्कार और उत्पीड़न की घटनाएं रिकॉर्ड स्तर पर हैं, और केंद्र सरकार सिर्फ नारों और योजनाओं के विज्ञापन तक सीमित है। मातृत्व लाभ योजना में ₹6,000 की जगह सिर्फ ₹5,000 मिल रहे हैं, वो भी सिर्फ पहले बच्चे तक।
आलोक दूबे ने कहा कि मोदी सरकार के “विकास मॉडल” की पोल आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से खुल चुकी है। देश की 1% आबादी के पास 40% संपत्ति है, जबकि निचले 50% लोगों के हिस्से में केवल 3% दौलत आती है। निजी निवेश लगातार गिर रहा है, उद्योग-धंधे ठप हैं, और लाखों MSMEs बंद हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने जो स्टार्टअप इंडिया का सपना दिखाया था, वह अब स्टार्टअप्स के कब्रिस्तान में बदल चुका है।
उन्होंने पीएम आवास योजना को भी झूठ का पुलिंदा करार दिया। ग्रामीण इलाकों में 68% घर अभी अधूरे हैं, और शहरी क्षेत्रों में लगभग आधे आवास खाली पड़े हैं — न पानी, न बिजली, न बसने लायक व्यवस्था।
रेलवे से लेकर मेट्रो तक, इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर स्वास्थ्य तक, शिक्षा से लेकर विज्ञान और तकनीक तक — हर मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता साफ दिख रही है। रेल सुरक्षा के नाम पर करोड़ों के बजट पास हुए, लेकिन ट्रेनों में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। IITs और AIIMS जैसे संस्थानों में फैकल्टी के 50% से ज्यादा पद खाली हैं, और छात्रों का भविष्य NEET जैसे घोटालों की भेंट चढ़ रहा है।
उन्होंने आयुष्मान भारत योजना की असलियत उजागर करते हुए कहा कि प्राइवेट अस्पताल सरकार के बकाए पैसे के कारण गरीब मरीजों को इलाज देने से इनकार कर रहे हैं। जहां सरकारी अस्पतालों की हालत बदतर है, वहीं निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत इलाज सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने वन और पर्यावरण को कॉरपोरेट्स के हवाले कर दिया है। लाखों हेक्टेयर जंगल नष्ट कर दिए गए, सिर्फ धर्म और दिखावे की राजनीति के नाम पर विकास के संसाधनों का बर्बादी की जा रही है।
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि स्मृति ईरानी रांची में आंकड़ों और शब्दों की बाजीगरी दिखा रहीं थीं, लेकिन जनता अब इन जुमलों से ऊब चुकी है। 11 साल की सत्ता के बाद भी अगर सरकार को पोस्टर, बुकलेट और प्रचार के माध्यम से अपनी “उपलब्धियां” गिनानी पड़ रही है, तो यह खुद उसके विफल होने का प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जनता भाजपा के खोखले दावों का जवाब दे। भारत को जुमलों की नहीं, हकीकत की जरूरत है। कांग्रेस हर मंच से इस झूठ और छल के खिलाफ आवाज़ बुलंद करती रहेगी।