चतरा स्थित ए एम सिद्दीक इंटरनेशनल कुरान अकैडमी में दस्तारबंदी व ए एम यू इंटर कालेज का हुआ उद्घाटन


चतरा के ए.एम.सिद्दीक पब्लिक स्कूल के परिसर में जलसा दस्तार बंदी का आयोजन किया गया।इस मुबारक अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में एक नए अध्याय का भी आगाज बड़े ही जोश व ख़रोश के साथ किया गया।इस मौके पर ए एम यू इंटर कॉलेज का उद्घाटन किया गया।इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि चतरा एसडीओ मो जहूर आलम और जमीयत उलमा ए झारखंड के महासचिव मुफ्ती शहाबुद्दीन उपस्थित थे।कार्यक्रम की अध्यक्षता मो मुर्तजा ने किया जबकि संचालन प्रोफेसर मो उमर फारूक कर रहे थे। मुख्य अतिथि एसडीओ मो जहूर आलम ने अपने संबोधन में बड़े स्कॉलर के रूप में कम समय में कुरान,धर्म ,विज्ञान और सामाजिक जीवन के अछूते पहलुओं पर बड़े ही सरल अंदाज में कहा कि दीन ( धर्म )और दुनियां अलग नहीं है दीन ही दुनियां है और दुनियां ही दीन है इस बारीकी को समझने पर बल दिया।उन्होंने धार्मिक और साहित्यिक ग्रंथों और बड़े कवियों के कविता को कोड करते हुए कहा कि कविता की बारीकियों को समझने का प्रयास किया जाना चाहिए तभी कविता के रूह तक पहुंच सकते हैं।उन्होंने ने बड़े बेबाक अंदाज में कहा कि अब भी देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों में शिक्षा की घोर कमी है।यह शिक्षा के क्षेत्र में ए एम यू इंटर कॉलेज इस क्षेत्र के लिए पहला कदम है यह मंजिल नहीं है।इस के लिए हम सब को मिल कर प्रयास करने की बात दोहराई।उन्होंने ने कहा कि विज्ञान और कुरान अलग नहीं है बल्कि कुरान पूर्ण रूपेण विज्ञान और सामाजिक न्याय की वकालत करता हुआ नजर आता है।उन्होंने आगे कहा कि हमसब गुमरहाई के सबब कुरान,साइंस दीन और दुनियां को अलग अलग कर के देखते हैं।अपना नजरिया बदलना होगा तभी सभी दृष्टिकोण से परिपूर्ण हो सकते हैं।उन्होंने बड़े सरल अंदाज में कहा कि एक बीज अपना वजूद मिट्टी में छुपा कर तनावर पेड़ के रूप में विशाल रूप धारण करता है।कोई छाया देता है तो कोई अन्य और फल यही खूबी मानव में होनी चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि मां अपने कोख में एक शिशु को परवान चढ़ाती है कई परेशानियों और दुख को सह कर उसी सहन को सब्र की संज्ञा दी गई है तब कहीं कोई बच्चा इस संसार में आकर कई कृतिमान स्थापित करता है ऐसे ही कार्यों से मां को संसार में सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है। मां का मान सम्मान हर वर्ग, धर्म और समुदाय में दिया जाता है। इस लिए स्कूल,मदरसा और कॉलेज में शिक्षा के साथ साथ न्याय प्रिय,मानवीय कर्तव्यों का पाठ पढ़ाया जाना समय की पुकार है।धार्मिक ग्रंथ और विज्ञान को अलग कर के देखना मानवीय भूल है।धार्मिक ग्रंथ मनुष्य को मानवीय कर्तव्यों का पाठ पढ़ा कर वैज्ञानिक रूपी मानव बनाने का प्रयास करता है।जिस से सामाजिक तानाबाना सशक्त और मजबूत हो सके।इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पूर्वजों ने सरल और सहज जीवन बिताया और लंबी आयु प्राप्त किए आज हम सब जीवन को सरल और सहज बनाने में छोटी आयु में कई समस्याओं से झूझते हुए नजर आते हैं।इस मौके पर इंटरनेशनल क़ुरआन अकादमी के सात छात्रों को कुरान मुकम्मल हिफाज करने पर दस्तारबंदी की गई।जिसके उपलक्ष्य में उन्हें हिफ्ज़ की सनद प्रदान की गई। इस विशेष अवसर पर छात्रों ने क़ुरआन और विज्ञान की तुलनात्मक विषयों पर प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किया।साथ ही,इसी कार्यक्रम के दौरान मदरसा रहमतुल उलूम इंटर कॉलेज का भी उद्घाटन किया गया। इस समारोह में मुख्य रूप से मुफ्ती शहाबुद्दीन,हाजी मिस्टर वहाजुल हक़,हाजी अताउल्लाह,हाजी जैनुल आबेदीन,हाजी इसराइल,मौलाना अतीक मंसूरी,मौलाना नसीम और प्रोफेसर उमर फारूक ने संयुक्त रूप से फीता काटकर कॉलेज का उद्घाटन किया। इन्होंने बताया कि एम आर यू कॉलेज खुलने से अल्पसंख्यक मुस्लिम बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रचने का कार्य करेंगे। यह कार्यक्रम न सिर्फ धार्मिक बल्कि शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा जिसमें मिस्टर राशिद,मो मुजम्मिल,मो आरिफ,मो एजाज अख्तर,हाफिज अली ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महती भूमिका निभाई।इस मौके पर शहर के प्रबुद्ध लोगों के अतिरिक्त काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।