सर्वजन दवा सेवन अभियान: 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए खिलायी जायेगी दवा,दवा सेवन कराने के लिए 10 लाख से अधिक योग्य लाभार्थियों को किया गया लक्षित


चतरा, 08 अगस्त: जिला में 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान प्रारंभ किया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस अभियान की तैयारी पूरी हो चुकी है. सभी प्रखंडों के अंतर्गत आने वाले सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों को सर्वजन दवा सेवन अभियान संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है. स्वास्थ्यकर्मियों को दवा सेवन कराने का प्रशिक्षण स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सहयोगी संस्था पीसीआई और पीरामल द्वारा दी गयी है. सभी योग्य लाभुकों को स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने ही दवा का सेवन करायेंगे. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रशेन अभियान में तीन प्रकार की दवा का सेवन कराया जायेगा. इनमें डीईसी और अल्बेंडोजोल के अलावा आइवरमेक्टिन को शामिल किया गया है. ये जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान से पूर्व आयोजित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सिविल सर्जन डॉ जगदीश प्रसाद ने दी. इस मौके पर उनके साथ क्षेत्रीय मलेरिया पदाधिकारी डॉ श्याम किशोर कांत तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ एजिहिलारसन, वीबीडी कंसल्टेंट अभिमन्यू कुमार, एफएलए प्रदीप सोनी भी मौजूद रहे.
10 लाख से अधिक आबादी लक्षित:
सिविल सर्जन ने अपील किया कि लोग स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा का सेवन करें. उन्होंने बताया कि इस अभियान में सभी प्रखंडों में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के तहत आने वाली एक हजार 468 गांवों के दो लाख 56 हजार 87 घरों को कवर किया जायेगा. इन घरों की 10 लाख 98 हजार 283 लोगों को दवा सेवन कराने का लक्ष्य रखा गया है. दवा सेवन अभियान के लिए पूरे जिला में 1565 बूथ बनाये गये हैं. अभियान में तीन हजार 132 स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया गया है. 169 सुपरवाइजरों को दवा सेवन कार्यों के अनुश्रवण की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. दवा की आपूर्ति की जा चुकी है.
हाथीपांव खतरनाक, दवा का सेवन जरूरी:
डॉ श्याम किशोर कांत ने बताया कि दवा सेवन से पूर्व आवश्यक बातों का ध्यान रखा जाना है. दवा का सेवन भूखे पेट नहीं कराया जाना है. साथ ही दो वर्ष से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रोग से बीमार व्यक्ति को दवा नहीं खिलानी है. हाथीपांव जैसे गंभीर रोग की रोकथाम के लिए दवा का सेवन जरूरी है. फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति के पैर में सूजन आ जाती है. इसे आमभाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है. यह मादा मच्छर क्यूलेक्स के काटने से होता है. किसी भी उम्र का व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है. फाइलेरिया मुख्यत: मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है. जिसमें पैर, हाथ, अंडकोष और महिलाओं के स्तन शामिल हैं. संक्रमण के बाद बीमारी होने में पांच से 15 साल लग सकते हैं.
सभी विभागों के साथ किया गया समन्वय:
वीबीडी कंसल्टेंट अभिमन्यु कुमार ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर अन्य विभागों जैसे शिक्षा, सामाजिक कल्याण, आजीविका, आइसीडीएस, पंचायत राज के साथ समन्वय बिठाकर दवा सेवन के प्रति मोबिलाजेशन का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि दवा सेवन से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. यदि दवा सेवन के बाद सरदर्द, उल्टी और बुखार जैसी परेशानियां होती है तो यह फाइलेरिया संक्रमण का संकेत है. दवा खाने के बाद आपके शरीर में मौजूद फाइलेरिया कृमि के मरने के कारण यह प्रतिक्रिया हुई थी. अगली बार दवा खाने पर ऐसी प्रतिक्रिया नहीं होने की संभावना है.दवा का सेवन स्वास्थ्यकर्मियों के सामने की करना है. यह दवा उम्र और लंबाई मापने के अनुसार ही आकलन कर दी जाती है. दवाईयां भारत सरकार के मापदंड पर खरी होती हैं.
धर्मगुरु भी जागरूक करने आये आगे:
पीसीआई तथा पीरामल द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मंदिरों और मस्जिदों के धर्मगुरु से मिलकर लोगों को दवा सेवन कराने के प्रति अपील करायी जा रही है. इसके अलावा सदर अस्पताल में मिलने वाली ओपीडी पर्ची पर फाइलेरिया उन्मूलन स्लोगन का मुहर लगाया जा रहा है.
इस मौके पर डीटीसी यक्ष्मा डॉ उत्तम कुमार, पीरामल से डीपीओ विजय प्रकाश पांडे, डिटिस्ट्रक्ट लीड गरिमा, पीसीआई डीएमसी अभिषेक कात्यायन तथा अन्य मौजूद रहे.